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काढ़े के बाद अब दवा बनी उम्मीद, ‘आयुष-64’ कोरोना के इलाज में कारगर

Ayurveda Health By Ayush

  08-Dec-2020


कुटकी, चिरायता, कुबेराक्ष व सप्तपर्ण को मिलाकर बनाई गई है यह दवा, 5 वें दिन ही नेगेटिव हुए संक्रमित।

कोरोना संक्रमण को हराने के लिए काफी प्रयास हो रहे हैं और अलग-अलग कंपनियां वैक्सीन भी तैयार करने में जुटी हैं। अभी तक आयुर्वेदिक औषधियों कोरोना से लड़ने में सबसे ज्यादा असरदार एवं सुरक्षित मानी जा रही हैं। ‘आयुष-64’ दवा जिसे कुबेराक्ष, चिरायता, सप्तपर्ण, और कुटकी से तैयार किया गया है, इसे कोविड संक्रमित मरीजों को देने पर संतोषजनक परिणाम मिले हैं

आयुर्वेद विभाग ने इसकी खरीद के आर्डर दे दिए हैं। कुछ ही समय में आयुर्वेद औषधालयों में इसके बटने की उम्मीद है। भरतपुर की रसायनशाला भी इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।

ये भी जानें 

1. कुटकी : ये हिमालय की तलहटी में पाया जाता है और अदरक जैसा होता है। इसकी जड़ों से रस निकालते हैं, जिसका उपयोग दवा बनाने में करते हैं

2 . सप्तपर्ण : यह  एक तरह से नीम जैसा वृक्ष होता है, जो देशभर में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसकी पत्तियों से रस निकाल कर उसका इस्तेमाल औषधि बनाने में किया जाता है।

3. चिरायता : हिमालय की तलहटी में पाया जाने वाला एक तरह से छोटा पौधा है, जिसे पूरा काम में लेते है।

4. कुबेराक्ष: कुबेराक्ष भी देशभर में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसका बीज बेहद उपयोगी है, बीज का ही रस निकालकर दवा बनाई जाती है।

डॉ. चंद्रप्रकाश दीक्षित ने कहा आयुष-64’ औषधि को एक एंटीवायरल दवा: 

आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. चंद्र प्रकाश दीक्षित बताते हैं कि  कुटकी, सप्तपर्ण, कु्बेराक्ष और चिरायता से तैयार आयुष-64 मलेरिया में काम आती है। इस दवा को एंटीवायरल के नाम से जाना जाता है। सैन्ट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरए) ने ये दवा तैयार की है। इसका ट्रायल राजस्थान समेत केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात/ में चल रहा है। कुबेराक्ष, सप्तपर्ण, चिरायता, और कुटकी से तैयार औषधि से वायरस कम समय में खत्म हो जाता है। आयुर्वेद विभाग द्वारा संचालित औषधालयों में इसको समय समय पर भेजा गया है। इसका उपयोग मलेरिया और डेंगू  के रोगियों में बहुत ही अच्छे परिणाम सामने आए हैं।

अभी आयुष मंत्रालय द्वारा कोरोना संक्रमण में उपयोग करने पर बहुत ही अच्छे और सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। कोरोना काल में आयुर्वेद विभाग द्वारा जो काढ़ा बनाकर पिलाया जा रहा है उसमें भी इन औषधियों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसकी वजह से कोरोना संक्रमण से बचाव, रोकथाम एवं उपचार में बहुत ही अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।

दिसंबर में आएगी दवा : पाराशर

कुटकी, सप्तपर्ण, चिरायता को मिलाकर बनायी जाने वाली इस दवा की खरीद के लिए ऑर्डर दिए जा चुके हैं। दिसंबर तक यह हमारे यहां भी पहुंच जाएगी। दवा की सैंपल टेेस्टिंग ख़तम होने के बाद इसकी सप्लाई औषधालयों को शुरू कर दी जाएगी।

डॉ. सुशील पाराशर, व्यवस्थापक रसायनशाला, भरतपुर

दवा से कोई साइड इफेक्ट नहीं : शर्मा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जोधपुर में भर्ती 60 कोविड मरीजों पर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने आयुष-64 का क्लीनिकल ट्रायल ख़तम कर लिया है। जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। 30 कोविड मरीजों को आयुष-64 दवा देने पर उनमें से 21 मरीज पांचवे दिन ही आरटी-पीसीआर जांच में नेगेटिव हो गए। किसी भी मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर नहीं किया। और किसी तरह का साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिले हैं।

-डॉ.संजीव शर्मा, निदेशक, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर

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